कहीं दौड़ाए घोड़े जा रहे हैं
कहीं अटकाए रोड़े जा रहे हैं
कहां से तोड़कर लाए गए थे
कहां हम लाके जोड़े जा रहे हैं।
नहीं समझा, तो हमको फिर समझना
कोई हम भागे थोड़े जा रहे हैं
मिले फुर्सत कभी तो देख लेना
ये हम कुछ रंग छोड़े जा रहे हैं
ये किस झोंके में तीरंदाज़ तेरे
हवा में तीर छोड़े जा रहे हैं
ये सच शायद रहे सच-सा ही कल भी
जो हम लड़-भिड़ के छोड़े जा रहे हैं
हमीं तब भी निचोड़े जा रहे थे
हमीं अब भी निचोड़े जा रहे हैं..