प्रबोध नारायण सिन्हा - शिक्षा : स्नातक गोरखपुर विश्वविद्यालय
कविता - आज सुबह - प्रबोध नारायण सिन्हा
आज सुबह
आज सुबह
जब उठा
तो धरती के
सिसकने की आवाज
आई
धरती ने सोचा कि
मेरी मिट्टी तो
ऐसी नहीं थी
फिर उसने
अंदाजा लगाया
आज इस धरती पर
जिंदा लोग
मर चुके हैं
और इसी वजह से
धरती लगातार
धरती लगातार सिसक रही है।
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