कविता - चेहरे - अनिता रश्मि
चेहरे
अव चेहरे पहचान में
नहीं आते
वक्त की धूल ने
विगाड़ दिए
कई चेहरे
काश,
पहले मिलना होता
शायद लेती बचा
कुछ वेदाग चेहरे!
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