जमीन का अनुबंध
पिता ने जाते समय सौंपी
एक रहस्यमई संदूक
अजीब इच्छा जाहिर की
संभाल सको तो बचा लेना
मेरी ए छोटी सी जागीर।
डरते-डरते जैसे ही खोली
बक्से में बंद जागीर
अलग-अलग खानों में थे
काले, पीले, लाल कुछ दाने
बचपन की धुंधली तस्वीरों में
कीचड़ में लथपथ पिता खेतों में
छींट रहे थे ऐसे ही दानों को।
गुणा-भाग लगाने पर
इन बक्सों में कैद करने
से भला
पिता मुझे माफ करना
मैं तुम्हारी जमीन का ही अनुबंध
कर रहा हूं।
सम्पर्क : केंद्रीय विद्यालय रामगढ़ कैंट, झारखंड, मो.नं. : 7633817152