ग़ज़लें- फूलचंद गुप्ता
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गुल खिलें कि शूल हों , दोनों अंगीकार कर
यह तिरी हयात है , इंतिहाई प्यार कर
यह नहीं है जिंदगी , यह अनंत युद्ध है
बस डटे रहो यहाँ , बार - बार हार कर
मिल गई हैं चाबियाँ , अब खुलेंगे घर सभी
थोड़ा इंतजार कर , थोड़ा इंतजार कर
तू धरा का तत्व है , कोख है धरा तेरी
लौह है तू आग भी , तू खुदी पे धार कर
और एक बात , कोई यत्न तू करे अगर
तो हज़ार बार कर , और बार - बार कर
देश , जाति , धर्म की फ़िज़ूल बात छोड़ दे
जो भी प्यार से मिले , उसपे ऐतबार कर
यह किसी का घर नहीं , यह शहर है दोस्तो
लोग जी रहे यहाँ , दूसरों को मार कर
चल , अलस्सुबह उठें , सुर्ख सूर्य की तरह
मैं अगर विफल रहूँ , तू अकेले यार ! कर!
..फूलचंद गुप्ता
बी/7, आनंद बंगलोज, गायत्री मंदिर रोड, महावीर नगर,
हिम्मत नगर -383001 गुजरात, मो.94263 79499