कविता - एल्बम एक आईना है - गौरव भारती,
एल्बम एक आईना है
_____________
नजरें साथ नहीं दे रही
हाथ अचानक कांपने लगते हैं
थोड़ी दूर चलता हूँ
हाँफ कर बैठ जाता हूँ
एक वक़्त था
जब वक़्त नहीं था
आज एक दिन बड़ी मुश्किल से बीतता है
मैं महसूस करता हूँ कि
वक़्त को खर्च करना भी एक कला है
बिल्कुल उसी तरह
जैसे कविता लिखना
या फिर किसी वाद्य-यंत्र को साधना
गुजरते हुए वक़्त में
मैं तुम्हें याद करता हूँ
लेकिन याद करने की कोशिश में
बहुत कुछ छूट जाता है
ऐसा लगता है
मानों उपेक्षित यादों ने आत्महत्याएं कर ली हो
सच कहूं तो
भूलने लगा हूँ अब
भूलने लगा हूँ अपना बचपन
खुद का जवान होना
तुम्हारा प्रेम
तुम्हारी सूरत
यहाँ तक कि नींद लेना भी
आजकल एल्बम लिए घंटो बैठा रहता हूँ
खुद को ढूँढता हूँ
तुम्हें टटोलता हूँ
एल्बम एक आईना है
जिसे निहारकर खुद को याद रखना आसान हो जाता है
गौरव भारती,शोधार्थी,भारतीय भाषा केंद्र , जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,
कमरा संख्या-108, झेलम छात्रावास , जे.एन.यू.,पिन-110067
मोबाइल- 9015326408