राहुल कुमार बोयल जन्म : 23.06.1985 जन्म स्थान : जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं, राजस्थान सम्प्रति : राजस्व विभाग में कार्मिक पुस्तक : समय की नदी पर पुल नहीं होता, नष्ट नहीं होगा प्रेम (कविता संग्रह) वागर्थ, कथा सृजन, सृजन सरोकार, दोआबा जैसी अनेक पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित
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कविता - तुम नाराज़ मत होना मेरी दोस्त - राहुल कुमार बोयल
तुम नाराज़ मत होना मेरी दोस्त
तुम नाराज़ मत होना मेरी दोस्त!
तुम नाराज़ मत होना
कि आजकल मैं तुमसे ज्यादा
आधी रात को उस समय को सोचता हूँ
जिसमें रोटी की कीमत से पेट का भविष्य तय होता था
तुम सुनकर सिहर मत जाना
कि अब पेट की कीमत से रोटी का भविष्य तय होता है।
तुम नाराज़ मत होना मेरी दोस्त!
तुम नाराज़ मत होना
कि आजकल मैं तुम्हारी आँखों से ज्यादा
देश-दुनिया की खबरों पर नज़र गाड़े रखता हूँ
तुम नहीं जानती, दुनिया ईमान की बातें करते-करते
हमारी बेखुदी की छोटी सी घड़ी में
हमारे वजद पर तोहमत लगाने में जरा भी देर नहीं करती
तुम नाराज़ मत होना मेरी दोस्त!
तुम नाराज़ मत होना
कि आजकल मेरी कविताओं में
तुम्हारी साफगोई के किस्सों की जगह
किसी बनिये सा हिसाब-किताब लिखती जन्दिगी होती है
जिस दिन तुम्हें बड़ी रोशनियों के छलावों का इल्म होगा
तुम समझ जाओगी कि
सफ़ेद कागजों पर स्याही गिराना ज़रूरी क्यों होता है
तुम नाराज़ मत होना मेरी दोस्त!
कि आजकल मैं जिरह की कलाई थामकर
तुम्हे बहस के दौर तक ले आता हूँ
जबकि सच यही है कि कुर्सियों को भी
लाशों पर टिकी हुई तशरीफ
और झूठ का सहारा ली हुई पीठ की आदत पड़ गयी है
देखना! एक दिन तुम भी रोजनामचे में
साँसों को गलतियों की तरह दर्ज करने लगोगे
तुम नाराज़ मत होना मेरी दोस्त!
तुम नाराज़ मत होना
कि आजकल मैं तुम्हारी चिबुक पर
चुम्बन धरने के खूबसूरत वक़्त में
किसान के धान का अनुमान लगाता हूँ
पर तुम्हारा ये जानना ज़रूरी है कि
एक भूखा चाँद को रोटी की तरह तकता है
और चाँद भूखे को राहु समझ छिपता है।
तुम नाराज़ मत होना मेरी दोस्त!
तुम नाराज मत होना
कि आजकल मैं तुम्हारे चेहरे की चहक देख
फ़रिश्तों की मुरव्वत का अफसाना नहीं लिखता
पर ये सब सिर्फ इसलिए है
ताकि बदतर होते समय की छाती पर
मुस्तकबिल के सुनहरे हस्ताक्षर लिए जा सकें।
राहुल कुमार बोयल, सम्पर्क : मो.नं. : 7726060287